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"गरीबा / बंगाला पांत / पृष्ठ - 7 / नूतन प्रसाद शर्मा" के अवतरणों में अंतर

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टहलू किहिस – “मोर दुख ला अब धनवा काट उड़ाही।
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तोर बात ला अगर जानिहय – धुमड़ा तोर खेदाही।
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कथय गरीबा -”टेस बता ले, तंय हा खर्चा कर ले खूब
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तंय हा बोये हवस जंवारा, तहू ला कहि आवश्यक काम।
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धनसहाय के परसंसा कर, पर सबके फल मं नुकसान
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धनवा ला तंय कहत हितैषी, तोला उहिच छोड़ाहय गांव।”
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कुरबुरात टहलू हा रेंगिस, जरमिर धनवा के घर गीस
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ओकर तिर मं लिख दिस लिखरी, ताकि खूब बजनी बज जाय।
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धनवा कहिथय -”मंय जानत हंव – कहां गरीबा के दिल साफ!
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इरखादोसी रखत मोर बर, तभो ले मंय कर देथंव माफ।
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काबर पहुंचे हवस मोरतिर, फुरिया भला स्वयं के काम
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अपन शक्ति भर मदद ला करिहंव, यद्यपि तंय गुनहगरा आस।”
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टहलू बोलिस -”तंय जानत हस – मंय हा फुलवारी ला बोय
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पर रुपिया बर लंगड़ी खावत, धुरा ला मंय पटकत हंव दोंय।
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मोर पास हे खेत एकेच ठक, ओला अपन पास रख लेव
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ओकर बल्दा रुपिया देके, अड़त काम ला सरका देव।”
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धनवा डांटिस -”तंय अबूज अस, काबर बेचत अपन जमीन
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ओला अपन पास तंय धर रख, अपन हाथ रोटी झन छीन।
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यदि तोला रुपिया आवश्यक, मंय बन जावत धारन तोर
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रुपिया ला वापिस नइ लेवंव, धर्म काम मं उड़िहय शोर।
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लेकिन जभे मोर नौकर मन, करंय भड़क के मोर विरोध
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मोर पक्ष ला तंय हा लेबे, काम बीच झन हो अवरोध।”
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धनसहाय हा रुपिया गिन दिस, टहलू लीस लमा के हाथ
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ओतकी बखत झड़ी हा आथय, सुंतिया पयकड़ा ओकर हाथ।
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गहना ला धनवा ला सौंपिस, तंह धनवा हा रखिस सवाल –
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“मोला काबर गहना देवत, कुछ तो बता गोठ ला साफ?”
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किहिस झड़ी – “मालिक, तंय हा सुन – मोला देस बाढ़ी मं धान
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उही कर्ज ला छूट दुहूं मंय, तंय गहना ला कर स्वीकार।”
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धनवा कथय -”कहां भागत हस, अतका लउहा के का बात
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नवा फसल जब हाथ मं आतिस, तंह लागा ला देतेस छूट।”
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“मोर परानी बिस्वासा हा, मर के सरग तनी चल दीस
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ओकर गहना सरत घरे मं, अउ गहगट कर्जा मुड़ मोर।
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मोर कष्ट मं मदद करे हस, मोर फर्ज हे कर्ज पटाय
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मालिक, तंय हा गलत सोच झन, करहूं मान तोर अहसान।”
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टहलू – झड़ी निकल गिन बाहिर, तंहने टहलू हेरिस बोल –
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“धनसहाय हे बहुत दयालू, ओकर असन कोन अउ आन!
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मोर जमीन ला हड़पे लेतिस, हाथ ले भगतिस धनहा नाट
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मंय मूरख हीरा त्यागन कर, कांच ला धरतेंव बिगर उवाट।
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गहगट धान तभो झोझा पर, बिगड़ के रहतेंव मंय कंगाल
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अपन हाथ मं चुन के गिरातेंव, फसकरा बइठे हंव जे डाल।”
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बोलिस झड़ी -”ठीक बोलत हस, धनवा के हिरदे हे साफ
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गिरे परे ला पकड़ उठाथय, दीन हीन के करत सहाय।
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मंय ओकर लागा छूटे हंव, मुड़ के उतरिस हे सब बोझ
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अब मोला निÏश्चत जनावत, वाकई लागा हे बेकार।”
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धनवा के गुन ला गावत ओ तिर ले रेंगिस टहलू।
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आगू तन बूता का करना तेकर हेरत पहलू।
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नम्मी के दिन दन्न पहुंच गिस, होम हवन टहलू घर होत
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सब ग्रामीण उंहे सकला गिन, देखत हवंय जंवारा जोत।
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फुलवारी के पांव परिन अउ, ठंडा बर लेगत हें ताल
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टहलू के खटला बोधनी हा, फट ले धर लिस बने सम्हाल।
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धोवा लुगा पहिर के बोधनी, छरिया रखे हवय सब बाल
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जोत जंवारा ला मुड पर रख, चलत हलू अक गोड़ उसाल।
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टहलू धरे हाथ मं खप्पर, गुंगुवा उड़त आंख तक जात
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गर्मी कारन चुहत पसीना, पर ओला पोंछन नइ पात।
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चोवा – गुहा साथ भगवानी, बन के देव देखावत जोश
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लोहा के तिरछूल धरे हें, ओला ऊपर तनी उठात।
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हा हा करके नंगत कूदत, मुड़ पर दही थपथपा थोप
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अपन देह ला सांट मं पीटत, लोर परत तेकर नइ ख्याल।
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लोह खड़ऊ पर चढ़ पोखन हा, रेंगत हवय पचापच कूद
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गोड़ पिरावत तेकर गम नइ, लोगन झन बोलंय – मरदूद।
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बइगा हा भुन भुन मंतर पढ़, मारत कामिल लिमऊ ला काट
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जोत ले ऊपर चांउर छीतत, अउ कभु पर ले मांगत सांट।
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बउदा भुखू मंगतू अउ नथुवा, उंकर साथ मं अउ कई लोग
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ओ सेवक मन बाजा ला धर, खूब बजावत धुन के साथ।
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एक दुसर के राग ला झोंकत, मार अवाज गात जसगीत
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दूसर तन के सुध बुध नइये, मात्र गीत पर उंकर धियान –
  
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“बर अगुवावय – पीपर पिछुवावय
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हो मैय्या मोरे
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लिमवा हे धरम दुवारे
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सेवा में हो मैय्या हमूं हा आबो …।
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नीमवाकेनीर तीर मोर गड़ेला हिंडोलना
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लाखों आवय लाखों जावंय …।
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कोने मैय्या झुले हो मोर कोन हा झुलावे
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कोने मैय्या देखन को आवे …।
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बूढ़ी मैय्या झुले कोदइया मैय्या झुलावय हो
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लंगुरे हा देखन को आवै …।
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झुलत झुलत मैय्या बिधुन हो गई हो
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टूट गई नौ सेर के हार हो …।
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कामें सकेलंव मैय्या मोरे हरवा अऊ डोलवा
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कामें सकेलंव नौ सेर हार हो …।
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टोपली सकेलय मैय्या हरवा अउ डोलवा
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दौंरी सकेलय नौ सेर हार हो …।
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कामें गुंथाये मैय्या हरवा अउ डोरवा
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कामें गुथाये नौ सेर हार हो …।
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पटुवे गुंथाये मैय्या हरवा अउ डोरवा
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रेशम गुंथाये नौ सेर हार हो …।
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बूढ़ी मांई पहिरे हरवा अउ डोरवा
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लंगुरे हा पहिरे नौ सेर हार हो …।
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सेवा मं हो मैय्या हमूं हा आबो …।
 
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16:01, 7 जनवरी 2017 के समय का अवतरण

टहलू किहिस – “मोर दुख ला अब धनवा काट उड़ाही।
तोर बात ला अगर जानिहय – धुमड़ा तोर खेदाही।
कथय गरीबा -”टेस बता ले, तंय हा खर्चा कर ले खूब
तंय हा बोये हवस जंवारा, तहू ला कहि आवश्यक काम।
धनसहाय के परसंसा कर, पर सबके फल मं नुकसान
धनवा ला तंय कहत हितैषी, तोला उहिच छोड़ाहय गांव।”
कुरबुरात टहलू हा रेंगिस, जरमिर धनवा के घर गीस
ओकर तिर मं लिख दिस लिखरी, ताकि खूब बजनी बज जाय।
धनवा कहिथय -”मंय जानत हंव – कहां गरीबा के दिल साफ!
इरखादोसी रखत मोर बर, तभो ले मंय कर देथंव माफ।
काबर पहुंचे हवस मोरतिर, फुरिया भला स्वयं के काम
अपन शक्ति भर मदद ला करिहंव, यद्यपि तंय गुनहगरा आस।”
टहलू बोलिस -”तंय जानत हस – मंय हा फुलवारी ला बोय
पर रुपिया बर लंगड़ी खावत, धुरा ला मंय पटकत हंव दोंय।
मोर पास हे खेत एकेच ठक, ओला अपन पास रख लेव
ओकर बल्दा रुपिया देके, अड़त काम ला सरका देव।”
धनवा डांटिस -”तंय अबूज अस, काबर बेचत अपन जमीन
ओला अपन पास तंय धर रख, अपन हाथ रोटी झन छीन।
यदि तोला रुपिया आवश्यक, मंय बन जावत धारन तोर
रुपिया ला वापिस नइ लेवंव, धर्म काम मं उड़िहय शोर।
लेकिन जभे मोर नौकर मन, करंय भड़क के मोर विरोध
मोर पक्ष ला तंय हा लेबे, काम बीच झन हो अवरोध।”
धनसहाय हा रुपिया गिन दिस, टहलू लीस लमा के हाथ
ओतकी बखत झड़ी हा आथय, सुंतिया पयकड़ा ओकर हाथ।
गहना ला धनवा ला सौंपिस, तंह धनवा हा रखिस सवाल –
“मोला काबर गहना देवत, कुछ तो बता गोठ ला साफ?”
किहिस झड़ी – “मालिक, तंय हा सुन – मोला देस बाढ़ी मं धान
उही कर्ज ला छूट दुहूं मंय, तंय गहना ला कर स्वीकार।”
धनवा कथय -”कहां भागत हस, अतका लउहा के का बात
नवा फसल जब हाथ मं आतिस, तंह लागा ला देतेस छूट।”
“मोर परानी बिस्वासा हा, मर के सरग तनी चल दीस
ओकर गहना सरत घरे मं, अउ गहगट कर्जा मुड़ मोर।
मोर कष्ट मं मदद करे हस, मोर फर्ज हे कर्ज पटाय
मालिक, तंय हा गलत सोच झन, करहूं मान तोर अहसान।”
टहलू – झड़ी निकल गिन बाहिर, तंहने टहलू हेरिस बोल –
“धनसहाय हे बहुत दयालू, ओकर असन कोन अउ आन!
मोर जमीन ला हड़पे लेतिस, हाथ ले भगतिस धनहा नाट
मंय मूरख हीरा त्यागन कर, कांच ला धरतेंव बिगर उवाट।
गहगट धान तभो झोझा पर, बिगड़ के रहतेंव मंय कंगाल
अपन हाथ मं चुन के गिरातेंव, फसकरा बइठे हंव जे डाल।”
बोलिस झड़ी -”ठीक बोलत हस, धनवा के हिरदे हे साफ
गिरे परे ला पकड़ उठाथय, दीन हीन के करत सहाय।
मंय ओकर लागा छूटे हंव, मुड़ के उतरिस हे सब बोझ
अब मोला निÏश्चत जनावत, वाकई लागा हे बेकार।”
धनवा के गुन ला गावत ओ तिर ले रेंगिस टहलू।
आगू तन बूता का करना तेकर हेरत पहलू।
नम्मी के दिन दन्न पहुंच गिस, होम हवन टहलू घर होत
सब ग्रामीण उंहे सकला गिन, देखत हवंय जंवारा जोत।
फुलवारी के पांव परिन अउ, ठंडा बर लेगत हें ताल
टहलू के खटला बोधनी हा, फट ले धर लिस बने सम्हाल।
धोवा लुगा पहिर के बोधनी, छरिया रखे हवय सब बाल
जोत जंवारा ला मुड पर रख, चलत हलू अक गोड़ उसाल।
टहलू धरे हाथ मं खप्पर, गुंगुवा उड़त आंख तक जात
गर्मी कारन चुहत पसीना, पर ओला पोंछन नइ पात।
चोवा – गुहा साथ भगवानी, बन के देव देखावत जोश
लोहा के तिरछूल धरे हें, ओला ऊपर तनी उठात।
हा हा करके नंगत कूदत, मुड़ पर दही थपथपा थोप
अपन देह ला सांट मं पीटत, लोर परत तेकर नइ ख्याल।
लोह खड़ऊ पर चढ़ पोखन हा, रेंगत हवय पचापच कूद
गोड़ पिरावत तेकर गम नइ, लोगन झन बोलंय – मरदूद।
बइगा हा भुन भुन मंतर पढ़, मारत कामिल लिमऊ ला काट
जोत ले ऊपर चांउर छीतत, अउ कभु पर ले मांगत सांट।
बउदा भुखू मंगतू अउ नथुवा, उंकर साथ मं अउ कई लोग
ओ सेवक मन बाजा ला धर, खूब बजावत धुन के साथ।
एक दुसर के राग ला झोंकत, मार अवाज गात जसगीत
दूसर तन के सुध बुध नइये, मात्र गीत पर उंकर धियान –

“बर अगुवावय – पीपर पिछुवावय
हो मैय्या मोरे
लिमवा हे धरम दुवारे
सेवा में हो मैय्या हमूं हा आबो …।
नीमवाकेनीर तीर मोर गड़ेला हिंडोलना
लाखों आवय लाखों जावंय …।
कोने मैय्या झुले हो मोर कोन हा झुलावे
कोने मैय्या देखन को आवे …।
बूढ़ी मैय्या झुले कोदइया मैय्या झुलावय हो
लंगुरे हा देखन को आवै …।
झुलत झुलत मैय्या बिधुन हो गई हो
टूट गई नौ सेर के हार हो …।
कामें सकेलंव मैय्या मोरे हरवा अऊ डोलवा
कामें सकेलंव नौ सेर हार हो …।
टोपली सकेलय मैय्या हरवा अउ डोलवा
दौंरी सकेलय नौ सेर हार हो …।
कामें गुंथाये मैय्या हरवा अउ डोरवा
कामें गुथाये नौ सेर हार हो …।
पटुवे गुंथाये मैय्या हरवा अउ डोरवा
रेशम गुंथाये नौ सेर हार हो …।
बूढ़ी मांई पहिरे हरवा अउ डोरवा
लंगुरे हा पहिरे नौ सेर हार हो …।
सेवा मं हो मैय्या हमूं हा आबो …।