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"मुझे जीवन ऐसा ही चाहिए था / कुमार मुकुल" के अवतरणों में अंतर

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14:05, 10 जनवरी 2017 का अवतरण


यह लिखते कितनी शर्म आएगी कि मैंने कष्ट सहे हैं

मुझे जीवन ऐसा ही चाहिए था

अपने मुताबिक़

अपनी गलतियों से सज़ा-धजा!