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"मुझे जीवन ऐसा ही चाहिए था / कुमार मुकुल" के अवतरणों में अंतर
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14:07, 10 जनवरी 2017 का अवतरण
यह लिखते कितनी शर्म आएगी कि मैंने कष्ट सहे हैं
मुझे जीवन ऐसा ही चाहिए था
अपने मुताबिक़
अपनी गलतियों से सज़ा-धजा।