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"मुझे जीवन ऐसा ही चाहिए था / कुमार मुकुल" के अवतरणों में अंतर
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14:14, 10 जनवरी 2017 के समय का अवतरण
यह लिखते
कितनी शर्म आएगी
कि मैंने
कष्ट सहे हैं
मुझे जीवन
ऐसा ही चाहिए था
अपने मुताबिक़
अपनी गलतियों से
सज़ा-धजा।