भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"अतिक्रमण / योगेंद्र कृष्णा" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=योगेंद्र कृष्णा |संग्रह=कविता के...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

14:39, 30 जनवरी 2017 के समय का अवतरण


उसकी रगों में
निर्बंध बह रहा हूं
मैं समुंदर के किनारों की तरह

बंजारी उन हवाओं के साथ
दिन के उजाले में रची
उन साजिशों की तरह

निरंतर उठते उस ज्वार की तरह
पहाड़ की ऊंचाइ से गिरते
उस जल-प्रपात की तरह
जो अपनी हदों को पार कर
लौट आता है हर बार
अपने ही वजूद में

एक बार फिर से
खुद के वजूद के
अतिक्रमण को तैयार...