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"आगे बढ़े चलेंगे / रामनरेश त्रिपाठी" के अवतरणों में अंतर
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यदि रक्त बूँद भर भी होगा कहीं बदन में | यदि रक्त बूँद भर भी होगा कहीं बदन में | ||
− | नस एक भी फड़कती होगी समस्त तन | + | नस एक भी फड़कती होगी समस्त तन में। |
− | यदि एक भी रहेगी बाक़ी तरंग मन | + | यदि एक भी रहेगी बाक़ी तरंग मन में। |
− | हर एक साँस पर हम आगे बढ़े | + | हर एक साँस पर हम आगे बढ़े चलेंगे। |
− | वह लक्ष्य सामने है पीछे नहीं | + | वह लक्ष्य सामने है पीछे नहीं टलेंगे॥ |
− | मंज़िल बहुत बड़ी है पर शाम ढल रही | + | मंज़िल बहुत बड़ी है पर शाम ढल रही है। |
− | सरिता मुसीबतों की आग उबल रही | + | सरिता मुसीबतों की आग उबल रही है। |
− | तूफ़ान उठ रहा है, प्रलयाग्नि जल रही | + | तूफ़ान उठ रहा है, प्रलयाग्नि जल रही है। |
− | हम प्राण होम देंगे, हँसते हुए | + | हम प्राण होम देंगे, हँसते हुए जलेंगे। |
− | पीछे नहीं टलेंगे, आगे बढ़े | + | पीछे नहीं टलेंगे, आगे बढ़े चलेंगे॥ |
− | अचरज नहीं कि साथी भग जाएँ छोड़ भय | + | अचरज नहीं कि साथी भग जाएँ छोड़ भय में। |
− | घबराएँ क्यों, खड़े हैं भगवान जो हृदय | + | घबराएँ क्यों, खड़े हैं भगवान जो हृदय में। |
− | धुन ध्यान में धँसी है, विश्वास है विजय | + | धुन ध्यान में धँसी है, विश्वास है विजय में। |
− | बस और चाहिए क्या, दम एकदम न | + | बस और चाहिए क्या, दम एकदम न लेंगे। |
− | जब तक पहुँच न लेंगे, आगे बढ़े | + | जब तक पहुँच न लेंगे, आगे बढ़े चलेंगे॥ |
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16:41, 4 फ़रवरी 2017 के समय का अवतरण
यदि रक्त बूँद भर भी होगा कहीं बदन में
नस एक भी फड़कती होगी समस्त तन में।
यदि एक भी रहेगी बाक़ी तरंग मन में।
हर एक साँस पर हम आगे बढ़े चलेंगे।
वह लक्ष्य सामने है पीछे नहीं टलेंगे॥
मंज़िल बहुत बड़ी है पर शाम ढल रही है।
सरिता मुसीबतों की आग उबल रही है।
तूफ़ान उठ रहा है, प्रलयाग्नि जल रही है।
हम प्राण होम देंगे, हँसते हुए जलेंगे।
पीछे नहीं टलेंगे, आगे बढ़े चलेंगे॥
अचरज नहीं कि साथी भग जाएँ छोड़ भय में।
घबराएँ क्यों, खड़े हैं भगवान जो हृदय में।
धुन ध्यान में धँसी है, विश्वास है विजय में।
बस और चाहिए क्या, दम एकदम न लेंगे।
जब तक पहुँच न लेंगे, आगे बढ़े चलेंगे॥