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"दो बेटे / श्रीप्रसाद" के अवतरणों में अंतर

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12:35, 20 फ़रवरी 2017 के समय का अवतरण

धरती ने दो बेटे पाए
इनमें एक बड़ा है
छोटा है जो एक गगन में
सीना तान खड़ा है

सूरज सुबह सजा किरणों की
थाली लेकर आता
वही बड़ा बेटा धरती का
दुनिया में कहलाता

छोटा बेटा छुनमुन चंदा
ठंडा प्यारा-प्यारा
दिन के ढलते ही आ जाता
चमकाता जग सारा

पीले लाल गुलाबी भूरे
सूरज फूल खिलाता
सिर पर रख दिन की शोभा की
पूरी गठरी लाता

सूरज है पूरा मछुआरा
जाल किरण का लाकर
करता है खिलवाड़, जाल को
सभी और फैलाकर

सूरज जरा तेज है मन का
गुस्सा भी कर लेता
मगर शांत मन का चंदा है
मन को ठंडक देता

रात और दिन दोनों भाई
आते पारी-पारी
धरती खुश रहती बेटों से
उत्तर दक्षिण सारी

बड़े मेहनती हैं ये बेटे
अँधियारे से लड़ते
कुचल पैर से अपना दुश्मन
उसके ऊपर बढ़ते

सूरज सुंदर, चंदा सुंदर
आसमान भी नीला
फूल चमेली है हर तारा
चम-चम-चम चमकीला।