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"गळगचिया (1) / कन्हैया लाल सेठिया" के अवतरणों में अंतर

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सिंझ्या हूँता ही मिनख उठयो अर दीयै रै मूंडै ऊपर तूळी मेळ दी। दीयो चट्ट चट्ट कर’र बोल्यो-बड़ा आदमी इयाँ के करै है ? मिनख हँस’र बोल्यो-अरै तूं हो के ? मन्नै अंधेरै में सूझ्यो ही कोनी !
 
सिंझ्या हूँता ही मिनख उठयो अर दीयै रै मूंडै ऊपर तूळी मेळ दी। दीयो चट्ट चट्ट कर’र बोल्यो-बड़ा आदमी इयाँ के करै है ? मिनख हँस’र बोल्यो-अरै तूं हो के ? मन्नै अंधेरै में सूझ्यो ही कोनी !
 
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13:25, 3 मार्च 2017 का अवतरण

सिंझ्या हूँता ही मिनख उठयो अर दीयै रै मूंडै ऊपर तूळी मेळ दी। दीयो चट्ट चट्ट कर’र बोल्यो-बड़ा आदमी इयाँ के करै है ? मिनख हँस’र बोल्यो-अरै तूं हो के ? मन्नै अंधेरै में सूझ्यो ही कोनी !