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"आपनोॅ बात / सुप्रिया सिंह 'वीणा'" के अवतरणों में अंतर

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तोंय सबसे सुंदर लागै छोॅ,
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अंगो के भाषा छिकै, मिलना छै सम्मान।
तोंय सबसे प्यारोॅ लागै छोॅ,
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हमरा खातिर अंगिका, छेकै जान-परान।।
कली तोंय हमरोॅ बगिया रोॅ,
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उषा रोॅ लाली लागै छै।
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अमरेंदर, राहुल, विमल, केॅ करतै सब याद।
तोंय बेटी कली-फूल बेली के
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जें दै नव साहित्य केॅ, रोजे पानी खाद।।
सुगंध जूही आरोॅ चमेली के
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तोंय बेटी गंगा रोॅ धारा,
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सबसें मिट्ठोॅ छै सखी, अंग देश के बोल।
माय रोॅ छेकोॅ तोंही सहारा।
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गद्य-पद्य साहित्य सब, अंगोॅ के अनमोल।।
जें बेटी भक्ति करै छै,
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तेॅ ऊ मीरा बनी जाय छै।
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आय  अंगिका के लली, खोजे छिये मकाम।
तोंय बेटी शक्ति स्वरूपा छोॅ
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कठिन डगर रास्ता बड़ोॅ, तहियोॅ करबै काम।।
तोंही दुर्गा रुप अनूपा छोॅ।
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जौं बेटी प्रेमों के पावन धारा,
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तेॅ ऊ राधा बनी जाए छै,
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जौं बेटी ममता रोॅ मूरत,
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तेॅ ऊ मरियम बनी जाय छै
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माय के बेटी तेॅ आन छेकैॅ,
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बापों लेॅ बेटी तेॅ शान छेकै,
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भाय के जान छेकै बेटी
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सबके अरमान छेकै बेटी।
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धरती के श्रृंगार छेकै बेटी
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पायल रोॅ झंकार छेकै बेटी
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नया संसार बसावै छै
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सृष्टि के भार उठावै छै।
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सुखद संसार छै बेटी सें ,
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स्नेह, ममता के डोरी से
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जगत के ताप मिटावोॅ छै
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नया-नया इतिहास बनाबोॅ छै ।
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15:38, 3 मार्च 2017 के समय का अवतरण

अंगो के भाषा छिकै, मिलना छै सम्मान।
हमरा खातिर अंगिका, छेकै जान-परान।।

अमरेंदर, राहुल, विमल, केॅ करतै सब याद।
जें दै नव साहित्य केॅ, रोजे पानी खाद।।

सबसें मिट्ठोॅ छै सखी, अंग देश के बोल।
गद्य-पद्य साहित्य सब, अंगोॅ के अनमोल।।

आय अंगिका के लली, खोजे छिये मकाम।
कठिन डगर रास्ता बड़ोॅ, तहियोॅ करबै काम।।