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कारवां गुज़र गया / गोपालदास "नीरज"
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14:02, 27 जुलाई 2006
पालकी लिये हुए कहार देखते रहे।<br>
कारवाँ गुज़र गया, गुबार देखते रहे।<br><br>
-- यह कविता deepak द्वारा कविता कोश में डाली गयी है।<br><br>
Lalit Kumar
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