भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"भ्यालेन्टाइन्स डे / सुमन पोखरेल" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Sirjanbindu (चर्चा | योगदान) |
Sirjanbindu (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 3: | पंक्ति 3: | ||
|रचनाकार=सुमन पोखरेल | |रचनाकार=सुमन पोखरेल | ||
|अनुवादक= | |अनुवादक= | ||
− | |संग्रह= शून्य मुटुको धड्कनभित्र | + | |संग्रह= शून्य मुटुको धड्कनभित्र / सुमन पोखरेल |
}} | }} | ||
+ | {{KKCatKavita}} | ||
{{KKCatNepaliRachna}} | {{KKCatNepaliRachna}} | ||
<poem> | <poem> |
12:13, 15 मार्च 2017 का अवतरण
एक मनभरि सम्झना
दुई आँखाभरि तिर्सना
अलिकति मुस्कान र
केही खुम्च्याइहरू निधारका
बोकेर अएको छ, एउटा दिन।
बिहान ऐना धमिल्याएर
दिउसो घाम छेकेर
साँझमा क्षितिज बालेर
रातभरि मुटु दुखाएर, तकिया भिजाएर ।
दिन बित्दै जाँदा
उमेर ढल्दै जाँदा
सायद,
यस्तै गरी आउने गर्छ
भ्यालेन्टाइन्स डे ।