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"कृष्ण भएछु / मनप्रसाद सुब्बा" के अवतरणों में अंतर
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14:29, 16 मार्च 2017 के समय का अवतरण
१. म
जाबो एक गोठालो त थिएँ नि गाउँमा।
बाँसुरी बजाउँदै गाइगोरू चराउँथें
एकलै।
अनि एक दिन राधा
खेताला जाँदाजाँदै
मेरो बाँसुरीधुन सुन्न उभिन्।
त्यै दिनदेखि म त
कृष्ण भएछु !
२. म
यौटा मिथकको पात्र मात्रै थिएँ
शब्दहरूको चाबीले चल्मलाउने
शब्दलीलाद्वारा खेलाइने।
तर जब मीरा मकहाँ
एकतारे बजाउँदै गाउँदै आइन्
त्यै दिनदेखि म त
हाड्मासुले बनिएको
कृष्ण भएछु !