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"अनौठो आनन्द / मनप्रसाद सुब्बा" के अवतरणों में अंतर

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दुनियाँले देख्ला कि भनी   
 
दुनियाँले देख्ला कि भनी   
 
लुकाइराखेको  
 
लुकाइराखेको  

14:31, 16 मार्च 2017 के समय का अवतरण


दुनियाँले देख्ला कि भनी
लुकाइराखेको
संसारले निन्दा गर्ला कि भनी
नदेखाइराखेको
मेरो निजी कमजोरी
आज तिम्रो सामुन्ने उदाङ्गो राखिदिएँ

अनि आह !
यस क्षण
यौटा अनौठो आनन्दले म
कता हो कता माथि उठेको छु –
यौटा निक्खुर जिन्दगी बाँच्नुको आनन्द !