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चंद्र की कला
अरुण कमल-कोमल-तनु तरुणी नवला
अधर ज्यों प्रवाल ज्वाल, स्मिति की चपला
अलक-पुंज-तिमिर कुसुम कुञ्ज में पला
दीप-शिखा मुख सम्मुख रहा झलमला
भाल-बिंदु ज्यों पतंग अंग को जला
बाँह युगल गौर सरित-तटी निर्जला
पीन वक्ष, क्षीण-कटि मृणाल मेखला
चरण किरण-वसन-ज्योति में घुला-रला
ज्यों कपोत का जोड़ा जा रहा चला
चंद्र की कला