भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"मुझे शब्द नहीं मिलते हैं, / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Vibhajhalani (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=गुलाब खंडेलवाल |संग्रह=बूँदे - जो...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
11:05, 20 अप्रैल 2017 के समय का अवतरण
मुझे शब्द नहीं मिलते हैं,
यह व्यथा कैसे तुम्हें समझाऊँ !
वे फूल कहाँ हैं जिनसे तुम्हारे लिए माला गूँथकर लाऊँ!
कोई भी कविता ऐसी नहीं है जो व्यक्त कर सके यह अभिलाषा,
मेरी आँखों में बैठकर पढ़ लो मेरे मन की भाषा