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"क्या कव्वा भी चहचहा रहा था / विष्णु नागर" के अवतरणों में अंतर

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(New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=विष्णु नागर }} उसने कहा - आज क्या सुबह थी क्या हवा थी कि...)
 
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19:53, 4 जून 2008 के समय का अवतरण

उसने कहा -

आज क्या सुबह थी

क्या हवा थी

कितनी मस्ती से पक्षी चहचहा रहे थे

मैंने कहा रुको

क्या तुम्हारा मतलब ये है

कि कव्वे भी चहचहा रहे थे?