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अमूझतै बादळ री
कूख सूं
धरती पर आई
नान्ही सी छांट रै मिस
अलेखूं मूंढा माथै
पसरी मुळक...
खाण लागी गरणेटा
चिंतावा रै ओळै-दोळै
लारो-लार पड़ता
गड़ां री ‘पटां’ सूं।