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"चाल भतूळा रेत रमां! : दो / राजूराम बिजारणियां" के अवतरणों में अंतर
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देख पावणा
चौकी आवतां
ताण मोद में सिर
टोकीजोड्या दोनूं हाथ।
लगा सुसरै जी रै धोक
देंवतो फेरी
बटाऊ भतूळियो
करणै सारू सिलाम
ढळग्यो
लुळतो पड़ाल कानीं।