भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"चाल भतूळा रेत रमां! : दो / राजूराम बिजारणियां" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=राजूराम बिजारणियां |अनुवादक= |संग...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

10:40, 12 जून 2017 के समय का अवतरण


देख पावणा
चौकी आवतां

ताण मोद में सिर
टोकीजोड्या दोनूं हाथ।

लगा सुसरै जी रै धोक
देंवतो फेरी
बटाऊ भतूळियो

करणै सारू सिलाम
ढळग्यो
लुळतो पड़ाल कानीं।