भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"रोटी एक भाषा है / नरेश मेहन" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=नरेश मेहन |अनुवादक= |संग्रह=थार-सप...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

21:26, 12 जून 2017 के समय का अवतरण

रोटी फगत
एक सबद नीं
एक भासा है
पूरी-पूरी भासा
भूख री
जिण नै फगत
चूल्हो अर पेट जाणै।

इण सबद री
आ भासा
नापै भूख नै
नाप परी
खुद बुझ जावै
फगत एक बार
किणीं गरीब रै पेट में
भळै चेतन होवण तांई।

चूल्हो
निरो आलोचक
कूंतै फगत
रोटी री भासा
सबद अनै उण री व्यंजना
संवेदना नै टाळ
बो कद जाणै
भूख री तड़प
बो जाणै फगत
भीतरली आंच।