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"सबक / आनंद कुमार द्विवेदी" के अवतरणों में अंतर

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21:57, 18 जून 2017 के समय का अवतरण

गर्दन दुखने लगती है
आकाश को निहारते ... मगर
नहीं टूटते तारे अब
कोई और जतन बताओ
कि एक आखिरी मुराद माँगनी है मुझे
टूटने वाली चीजें भी
कुछ न कुछ दे ही जाती हैं
मसलन
एक सबक !