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"हमने जो भोगा सो गाया / बलबीर सिंह 'रंग'" के अवतरणों में अंतर

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हमने जो भोगा सो गाया ।
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हमने जो भोगा सो गाया।
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अकथनीयता को दी वाणी,
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वाणी को भाषा कल्याणी;
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कलम कमण्डल लिये हाथ में,
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दर-दर अलख जगाया।
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हमने जो भोगा सो गाया।
  
अकथनीयता को दी वाणी
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सहज भाव से किया खुलासा,
वाणी को भाषा कल्याणी
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आँखों देखा हुआ तमाशा;
कलम कमण्डल लिये हाथ में
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कौन करेगा लेखा-जोखा,
दर-दर अलख जगाया
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क्या खोया क्या पाया?
हमने जो भोगा सो गाया ।
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हमने जो भोगा सो गाया।
 
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सहज भाव से किया खुलासा
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आँखों देखा हुआ तमाशा
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कौन करेगा लेखा-जोखा
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क्या खोया, क्या पाया
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हमने जो भोगा सो गाया ।
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पीड़ओं के परिचायक हैं
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और भला हम किस लायक हैं
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अन्तर्मठ की प्राचीरों में
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अनहद नाद गुँजाया
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हमने जो भोगा सो गाया ।
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पीड़ाओं के परिचायक हैं,
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और भला हम किस लायक हैं;
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अन्तर्मठ की प्राचीरों में,
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अनहद नाद गुँजाया।
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हमने जो भोगा सो गाया।
 
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14:11, 23 जून 2017 का अवतरण

हमने जो भोगा सो गाया।
अकथनीयता को दी वाणी,
वाणी को भाषा कल्याणी;
कलम कमण्डल लिये हाथ में,
दर-दर अलख जगाया।
हमने जो भोगा सो गाया।

सहज भाव से किया खुलासा,
आँखों देखा हुआ तमाशा;
कौन करेगा लेखा-जोखा,
क्या खोया क्या पाया?
हमने जो भोगा सो गाया।

पीड़ाओं के परिचायक हैं,
और भला हम किस लायक हैं;
अन्तर्मठ की प्राचीरों में,
अनहद नाद गुँजाया।
हमने जो भोगा सो गाया।