भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"रवि, शशि, तारक तुम्हारी चारु-चितवन में / बलबीर सिंह 'रंग'" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=बलबीर सिंह 'रंग' |अनुवादक= |संग्रह= }...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

15:58, 23 जून 2017 के समय का अवतरण

रवि, शशि, तारक तुम्हारी चारु-चितवन में,
सृष्टि एक रचना है कौतुक तिहारे की।
प्रलय-प्रभंजन में प्राणों के पंछियों को,
झाँकी दिखलाते भव-सिन्धु के किनारे की।
कल परसों की बात गणिका अजामिल की,
चर्चा बड़ी है गजराज के उबारे की।
हाथ थाम लेना बदनाम कर देना मत,
लाज रख लेना नाथ नाम के पुकारे की।