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"दोहा मन्दाकिनी, पृष्ठ-15 / दिनेश बाबा" के अवतरणों में अंतर

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105
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113
जे बुतरू एक्को दफा, पकड़ी लै छै स्लेट
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बच्चा, बूढ़ा, नवयुवक, आ नारी स्मार्ट
अतना इलम पाबै छै, ताकी पालै पेट
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खूब निभाबै छै सभे, अपनों अपनों पार्ट
  
106
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114
कोय गुदानै छै कहाँ, जब स्वारथ टकराय
+
एक गुना बिल्डिंग बढ़ै, चारगुना इंसान
बिन पैसा लागै जना, हाथ हिया हेराय
+
महानगर विस्तार में, दोनो एक समान
  
107
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115
लोग गुदानै छै तभी, जब देखै छै माल
+
अनुशासित छै लोग सब, नैं  कचकच नैं मार
दुनियाँ में ‘बाबा’ सभे, खाँटी छिकै दलाल
+
रिक्शा लेली भी यहाँ, अक्सर लगै कतार
  
108
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116
हारी केॅ भी जीततै, जौनें करै प्रयत्न
+
कहीं खड़ा तों होय जा, क्यू के लगै कतार
जें गोंता नैं मारतै, वें की पैतै रत्न
+
जहाँ समय के माँग छै, जिनगी में रफतार
  
109
+
117
धन-दौलत लेली करो, कत्तो मंतर जाप
+
जनसंख्या देखो यहाँ, भेलै जना पहाड़
हुवै परापत जब कटै, तकदीरो के शाप
+
रुकतै आबे कहाँ पर, इंसानो के बाढ़
  
110
+
118
तृष्ना के मिटलो बिना, मिटै न धन के चाह
+
जनसंख्या विस्फोट में, बढ़लो गेलै भीड़
इच्छा, धन, संताप छै, चलो सत्य के राह
+
घोॅर बढ़ै रोजे मतर, कहाँ पुरै छै नीड़
  
111
+
119
न्याय मिलै में देर भी, सच में छै अन्याय
+
महानगर में घोॅर नैं, मिलथौं केवल फ्लैट
संविधान के झोल हय, साफे-साफ लखाय
+
बोली छै खिचड़ी यहाँ, बेसी दिस या दैट
  
112
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120
महानगर के कामिनी, कातिल रखै निगाह
+
पानी जुगना धन बहै, जिनगी छै उन्मुक्त
रूप सुन्दरी सब लगै, घूमै बेपरवाह
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यहाँ तेॅ स्वेच्छाचारिता, ही लागै उपयुक्त
 
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18:18, 25 जून 2017 के समय का अवतरण

113
बच्चा, बूढ़ा, नवयुवक, आ नारी स्मार्ट
खूब निभाबै छै सभे, अपनों अपनों पार्ट

114
एक गुना बिल्डिंग बढ़ै, चारगुना इंसान
महानगर विस्तार में, दोनो एक समान

115
अनुशासित छै लोग सब, नैं कचकच नैं मार
रिक्शा लेली भी यहाँ, अक्सर लगै कतार

116
कहीं खड़ा तों होय जा, क्यू के लगै कतार
जहाँ समय के माँग छै, जिनगी में रफतार

117
जनसंख्या देखो यहाँ, भेलै जना पहाड़
रुकतै आबे कहाँ पर, इंसानो के बाढ़

118
जनसंख्या विस्फोट में, बढ़लो गेलै भीड़
घोॅर बढ़ै रोजे मतर, कहाँ पुरै छै नीड़

119
महानगर में घोॅर नैं, मिलथौं केवल फ्लैट
बोली छै खिचड़ी यहाँ, बेसी दिस या दैट

120
पानी जुगना धन बहै, जिनगी छै उन्मुक्त
यहाँ तेॅ स्वेच्छाचारिता, ही लागै उपयुक्त