भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"ज्ञान केरोॅ उन्मेष कहाँ छै / कैलाश झा ‘किंकर’" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Rahul Shivay (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कैलाश झा ‘किंकर’ |अनुवादक= |संग्र...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
Rahul Shivay (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 3: | पंक्ति 3: | ||
|रचनाकार=कैलाश झा ‘किंकर’ | |रचनाकार=कैलाश झा ‘किंकर’ | ||
|अनुवादक= | |अनुवादक= | ||
− | |संग्रह= | + | |संग्रह=जानै जौ कि जानै जाता / कैलाश झा 'किंकर' |
}} | }} | ||
{{KKCatAngikaRachna}} | {{KKCatAngikaRachna}} |
22:47, 25 जून 2017 के समय का अवतरण
ज्ञान केरोॅ उन्मेष कहाँ छै।
हमरोॅ जैसन देश कहाँ छै।।
सत्य, अहिंसा और अपरिग्रह,
भारत सन सन्देश कहाँ छै।
हिन्दू, मुस्लिम, सिक्ख, ईसाई
केकरो कोनो क्लेश कहाँ छै।
बुद्ध, महावीर, नानक, बापू-
राम यहाँ, लंकेश कहाँ छै।
कोनो देश केॅ सतबै वाला,
भारत के उपदेश कहाँ छै।।
प्रेम, दया, तप, त्याग, मनोबल
हमरोॅ दिल मेॅ द्वेष कहाँ छै।।