भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"ईद मुबारक / केदारनाथ अग्रवाल" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Pratishtha (चर्चा | योगदान) |
Sharda suman (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 3: | पंक्ति 3: | ||
|रचनाकार=केदारनाथ अग्रवाल | |रचनाकार=केदारनाथ अग्रवाल | ||
|संग्रह=कुहकी कोयल खड़े पेड़ की देह / केदारनाथ अग्रवाल | |संग्रह=कुहकी कोयल खड़े पेड़ की देह / केदारनाथ अग्रवाल | ||
− | }}{{KKAnthologyId}} | + | }} |
+ | {{KKAnthologyId}} | ||
{{KKCatKavita}} | {{KKCatKavita}} | ||
<poem> | <poem> |
11:33, 27 जून 2017 के समय का अवतरण
हमको,
तुमको,
एक-दूसरे की बाहों में
बँध जाने की
ईद मुबारक।
बँधे-बँधे,
रह एक वृंत पर,
खोल-खोल कर प्रिय पंखुरियाँ
कमल-कमल-सा
खिल जाने की,
रूप-रंग से मुसकाने की
हमको,
तुमको
ईद मुबारक।
और
जगत के
इस जीवन के
खारे पानी के सागर में
खिले कमल की नाव चलाने,
हँसी-खुशी से
तर जाने की,
हमको,
तुमको
ईद मुबारक।
और
समर के
उन शूरों को
अनुबुझ ज्वाला की आशीषें,
बाहर बिजली की आशीषें
और हमारे दिल से निकली-
सूरज, चाँद,
सितारों वाली
हमदर्दी की प्यारी प्यारी
ईद मुबारक।
हमको,
तुमको
सब को अपनी
मीठी-मीठी
ईद-मुबारक।
रचनाकाल: २१-११-१९७१