भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"थाळी-थाळी निपटगी खीर / अशोक जोशी 'क्रान्त'" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अशोक जोशी 'क्रान्त' |अनुवादक= |संग्...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
21:46, 27 जून 2017 के समय का अवतरण
थाळी-थाळी निपटगी खीर
टळिया-टळिया रैग्या पीर।
थांरी थाळी थर री खीर
जण अब मांगै कैड़ौ सीर।
ओळूं में झरता दिन-रात
नीं थाकै नैनां रा नीर।
कीकर ढाका थांरा पोत
थांरौ बागौ लीरालीर।
मन मरजी रा रसिया मीत
कद जाणै कळियां री पीर।