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"जीवन में शामिल है मेरा / गिरधारी सिंह गहलोत" के अवतरणों में अंतर

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दुख हरने को किये  जतन जो, सबके सब दिनरात  फले हैं  
 
दुख हरने को किये  जतन जो, सबके सब दिनरात  फले हैं  
 
छोटा सा मेरा है जितना ये संसार तुम्हारा भी है  
 
छोटा सा मेरा है जितना ये संसार तुम्हारा भी है  
मेरा तुम पर ...
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आगत में भी ऐसे ही तुम ,संग हमेशा देते रहना  
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आगत में भी ऐसे ही तुम,संग हमेशा देते रहना  
अभिलाषा हर  होगी पूरी , बस थोड़ा सा धीरज धरना  
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अभिलाषा हर  होगी पूरी, बस थोड़ा सा धीरज धरना  
प्रिये ! हौसला हो तुम मेरा , हो  सम्बल मेरे जीवन का  
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प्रिये ! हौसला हो तुम मेरा, हो  सम्बल मेरे जीवन का  
तुम देखो सपने है मेरा ,  लक्ष्य सदा ही  पूरा करना  
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तुम देखो सपने है मेरा,  लक्ष्य सदा ही  पूरा करना  
 
मेरा आदर होगा जितना तो सत्कार तुम्हारा भी है  
 
मेरा आदर होगा जितना तो सत्कार तुम्हारा भी है  
मेरा तुम पर .....
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राज छुपा है जीने का बस , मीत  प्रेम  ढाई अक्षर में  
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राज छुपा है जीने का बस, मीत  प्रेम  ढाई अक्षर में  
जैसे है  संगीत छुपा सा . मुरली में वीणा के  स्वर में  
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जैसे है  संगीत छुपा सा. मुरली में वीणा के  स्वर में  
 
तार मिले हों साज बजेगा, धुन निकलेगी मस्त मनोहर  
 
तार मिले हों साज बजेगा, धुन निकलेगी मस्त मनोहर  
टूटे हों यदि तार कभी भी , असर  न छोड़े वो अंतर में  
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टूटे हों यदि तार कभी भी, असर  न छोड़े वो अंतर में  
मेरे जीवन नाट्य मंच पर , इक किरदार तुम्हारा भी है  
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मेरे जीवन नाट्य मंच पर, इक किरदार तुम्हारा भी है  
 
मेरा तुम पर जितना है उतना अधिकार तुम्हारा भी है  
 
मेरा तुम पर जितना है उतना अधिकार तुम्हारा भी है  
 
    
 
    

13:48, 28 जून 2017 के समय का अवतरण

जीवन में शामिल है मेरा उतना प्यार तुम्हारा भी है
मेरा तुम पर जितना है उतना अधिकार तुम्हारा भी है
   
एक राह है साथ सफर में, हम तुम अब तक साथ चले हैं
कंटक हटे सभी रस्ते से, पुष्प खुशी के सदा खिले हैं
आये कुछ कड़वे पल लेकिन,हिम्मत से जीती है बाजी
दुख हरने को किये जतन जो, सबके सब दिनरात फले हैं
छोटा सा मेरा है जितना ये संसार तुम्हारा भी है
मेरा तुम पर...
   
आगत में भी ऐसे ही तुम,संग हमेशा देते रहना
अभिलाषा हर होगी पूरी, बस थोड़ा सा धीरज धरना
प्रिये ! हौसला हो तुम मेरा, हो सम्बल मेरे जीवन का
तुम देखो सपने है मेरा, लक्ष्य सदा ही पूरा करना
मेरा आदर होगा जितना तो सत्कार तुम्हारा भी है
मेरा तुम पर...
   
राज छुपा है जीने का बस, मीत प्रेम ढाई अक्षर में
जैसे है संगीत छुपा सा. मुरली में वीणा के स्वर में
तार मिले हों साज बजेगा, धुन निकलेगी मस्त मनोहर
टूटे हों यदि तार कभी भी, असर न छोड़े वो अंतर में
मेरे जीवन नाट्य मंच पर, इक किरदार तुम्हारा भी है
मेरा तुम पर जितना है उतना अधिकार तुम्हारा भी है
   
जीवन में शामिल है मेरा उतना प्यार तुम्हारा भी है
मेरा तुम पर जितना है उतना अधिकार तुम्हारा भी है