भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"कागला पटकै चांच / ओम पुरोहित ‘कागद’" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=ओम पुरोहित ‘कागद’ |अनुवादक= |संग्...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
14:43, 28 जून 2017 के समय का अवतरण
कागला खावै भुआंळी
मल्टीस्टोरी कोठ्यां माथै
डब्बा बंद आं घरां सूं
कोई नीं झांकै आभै में
कागलो पटकै चांच
सातवैं मालै री
पाणी आळी टंकी माथै
दिखूं तो दिखूं कियां
कोई प्रीतम प्यारी नै
देऊं तो देऊं कियां
बटाऊआं रो संदेस
ना मंढाओ चावै
सोनै में चांच
ना जीमाओ चावै
घी-खांड रो चूरमो
पण दिखो तो सरी
थे तो भूलग्या
म्हैं तो निभाऊं
म्हारो धरम!