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"सुकरात को याद करते हुए / बाबुषा कोहली" के अवतरणों में अंतर

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री आँखें फोड़ दी थीं
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मेरी आँखें फोड़ दी थीं
  
 
बस !  
 
बस !  

10:40, 29 जून 2017 के समय का अवतरण

जिस दिन
वो दुनियावी ऐनक
टूट गई थी

तुम सब ने मिलकर
मेरी आँखें फोड़ दी थीं

बस !
उस दिन से ही भीतर
एक ढिबरी जलती है ।