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"कितने आसान सबके सफ़र हो गए / विजय वाते" के अवतरणों में अंतर

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वो जो नब्बे थे, बिल्कुल सिफ़र हो गए|<br><br>
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एक लानत, मलामत मुसीबत बला,<br>
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तेग लकड़ी की थी, साईं ग़दर हो गए|<br><br>
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सबके चहरे पे एक सनसनी की ख़बर,<br>
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जैसे अख़बार वैसे शहर हो गए|<br><br>
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ये शिकायत जहाजों की है आजकल,<br>
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उथले तालाब भी अब बहर हो गए|<br><br>

04:45, 29 जून 2008 का अवतरण

कितने आसां सबके सफर हो गए|
रेत पर नाम लिखकर अमर हो गए|

ये जो कुर्सी मिली, क्या करिश्मा हुआ,
अब तो दुश्मन भी लख्तेजिगर हो गए|

साँप-सीढ़ी का ये खेल भी खूब है,
वो जो नब्बे थे, बिल्कुल सिफ़र हो गए|

एक लानत, मलामत मुसीबत बला,
तेग लकड़ी की थी, साईं ग़दर हो गए|

सबके चहरे पे एक सनसनी की ख़बर,
जैसे अख़बार वैसे शहर हो गए|

ये शिकायत जहाजों की है आजकल,
उथले तालाब भी अब बहर हो गए|