भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"कसम / उपेन्द्र सुब्बा" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=उपेन्द्र सुब्बा |अनुवादक= |संग्रह...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
Sirjanbindu (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 5: | पंक्ति 5: | ||
|संग्रह= | |संग्रह= | ||
}} | }} | ||
+ | {{KKCatKavita}} | ||
{{KKCatNepaliRachna}} | {{KKCatNepaliRachna}} | ||
<poem> | <poem> |
10:29, 6 जुलाई 2017 के समय का अवतरण
देउरालीमा सिन्दुरले रातै पोतिएर
फूलपातीले छयाप्पै छोपिएर
एउटा ढुंगा देउता भएर बसेको छ
देउता ढुंगा हुन् सक्छ/ढुंगा देउता पनि हुन् सक्छ
-मात्र विश्वासमा
त्यहि विश्वासमा -
निर्बलहरु बल माग्दै ढुंगा सामु माथा टेक्छन
गरिबहरु धन माग्दै ऋण गरि बोका काटछन
दु:खीहरु सुख माग्दै रोइ,कराई भाकल गर्छन ..
विश्वास एति घाती छ,कि
नाथे एउटा ढुंगाले पनि यसरि मान्छेको शोषण गर्छ