भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"इण बदरंग बगत में / मदन गोपाल लढ़ा" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मदन गोपाल लढ़ा |अनुवादक= |संग्रह=च...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

17:23, 9 जुलाई 2017 के समय का अवतरण

अेकलो कोनी
म्हैं खुद हूं
सागै म्हारै।

खुदोखुद सूं
करूं सवाल
देवूं पडूत्तर
करूं बंतळ।

इण बदरंग बगत में
खुद रै सागै सूं ई
सोरी हुय सकै
आ जातरा।