भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"जिंदगी थोड़ी है बंधन बहुत ज्यादा / डी. एम. मिश्र" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=डी. एम. मिश्र |संग्रह=रोशनी का कारव...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
16:24, 13 जुलाई 2017 का अवतरण
जिंदगी थोड़ी है बंधन बहुत ज्यादा।
दोस्त कम हैं और दुश्मन बहुत ज़्यादा।
चार दिन पहले उसी से दोस्ती थी,
आजकल उससे है अनबन बहुत ज़्यादा।
कल तलक तस्वीर लेकर घूमता था,
और अब मिलता है बेमन बहुत ज़्यादा।
हर किसी का एक ही चिंता सताती,
राम कम हैं और रावन बहुत ज़्यादा।