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"दुलहन धरती / अचल भारती" के अवतरणों में अंतर

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|रचनाकार=भवप्रीतानन्द ओझा
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|रचनाकार=अचल भारती
 
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|संग्रह=अंगिका के प्रतिनिधि प्रकृति कविता / गंगा प्रसाद राव
 
|संग्रह=अंगिका के प्रतिनिधि प्रकृति कविता / गंगा प्रसाद राव

13:54, 14 जुलाई 2017 के समय का अवतरण

पिया बादल मारै छै ऊपर सें कनखी
हो घुंघ्ज्ञट सें झांकै छै दुलहन-धरती।
आमॅ के मंजर टिकोल भेलै
कालकॅ बतास जे जवान होलै
होली ऐलै कि थिरकलै कदम
ननद! भी गलै चुनर उलझै बक्ती

पिया बादल मारै छै ऊपर से कनखी
हो घूंघट से झांकै छै दुलहन-धरती।