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"नदी की धार मोड़ दो तो कोई बात बने / डी. एम. मिश्र" के अवतरणों में अंतर

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16:02, 18 जुलाई 2017 का अवतरण

नदी की धार मोड़ दो तो कोई बात बने।
हमारे गाँव में लाओं तो कोई बात बने।

हमारे गाँव से दिल्ली तुम्हारी दूर बहुत,
यहाँ से राज चलाओं तो कोई बात बने।

गरीब आदमी तो कोशिशें कर –कर के थका,
नसीब उसका बदल दो तो कोई बात बने।

कहाँ ज़रूरी है ये हर ज़मीन समतल हो,
 जिगर पहाड़ का काटो तो कोई बात बने।