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"उड़ गये रंग हुए श्वेत हम / डी. एम. मिश्र" के अवतरणों में अंतर

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16:05, 18 जुलाई 2017 का अवतरण

उड़ गये रंग हुए श्वेत हम।
हो गये सूखकर रेत हम।

कब भरे, कब पके, कब कटे,
आज परती पड़े खेत हम।

वक्त़ ने मार डाला हमें,
आदमी से हुए प्रेत हम।

क्या नयन बोलते आपके,
वो समझते हैं संकेत हम।