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"चेहरे नहीं बदले गये तो आइने बदले गये / डी. एम. मिश्र" के अवतरणों में अंतर

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शब्दों के जंगल रह गये जब मायने बदलें गये।
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शब्दों के जंगल रह गये जब मायने बदले गये।
 
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11:41, 5 अगस्त 2017 का अवतरण

चेहरे नहीं बदले गये तो आइने बदले गये।
जब लोग बेढंगे चले तो रास्ते बदले गये।

धरती का वो भगवान है, जज भी है वो सबसे बड़ा,
लेकिन चढ़ावे चढ़ गये तो फ़ैसले बदले गये।

जब भ्रष्ट बाबू की शिकायत आला अफसर से किया,
उसको प्रमोशन दे के उस के ओहदे बदले गये।

खूनी बरी हो जायगा तो क्या गवाही, क्या सबूत,
जब पोस्टमाटर्म की रिपोर्टें, असलहे बदले गये।

पहले भी करते थे ठगी, मंत्री बनें तो भी ठगें,
ये सब पुराने माल हैं लेबल भले बदले गये।

जीते तो ये कुत्ते हुए हारे तो साधू हैं बने,
सब दल सियासी एक हैं झंडे भले बदले गये।

ईमान का विच्छेद कर वो बोलता ई-मान अब,
शब्दों के जंगल रह गये जब मायने बदले गये।