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"एक बार ही सही / अनवर ईरज" के अवतरणों में अंतर

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और मस्लेहात पसंद हो गए हैं
 
और मस्लेहात पसंद हो गए हैं

09:23, 29 जून 2008 का अवतरण

वो

बार-बार

बोल रहा है

और ज़हर उगल रहा है


वो

बार-बार

बोल रहा है

ग़लत और झूठ

बोल रहा है


क्या हम इतने

ग़ैर जानिबदार

सैक्यूलर

और मस्लेहात पसंद हो गए हैं

कि बार-बार नहीं तो कम से कम

हमें एक बार ही सही

सच तो बोलना चाहिए