भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"साँस का सरगम टूट / अमरेन्द्र" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अमरेन्द्र |अनुवादक= |संग्रह=मन गो...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
 
पंक्ति 7: पंक्ति 7:
 
{{KKCatGeet}}
 
{{KKCatGeet}}
 
<poem>
 
<poem>
क्यों लगता है दुख के सारे
+
साँस का  सरगम  टूटे इसके कि पहले
दिन वे बीत गए
+
और  थोड़ी  देर  मेरे  साथ रह ले।
तुमको पाकर जीवन के सुख
+
पल में जीत गए।
+
  
जीवन का सूनापन है क्या
+
कौन जाने जनम मेरा हो-न-हो फिर
इसको जान लिया
+
हो गया ही, तो मिलेंगे क्या पता है
साथी, तुम मेरी साँसे हो
+
मिल गए भी प्यार क्या ऐसा ही होगा
मैंने मान लिया
+
जिस तरह है आज, मन न मानता है
अब समझो तुम क्या होगा जो
+
फिर मिले अवसर न कहने का कभी
वापस मीत गए।
+
आज तक जो अनकही हो बात, कह ले।
  
आज प्राण के तार-तार सुर
+
आज नभ को क्या हुआ ये, जल रहा क्यों
सौ-सौ    साध    रहे
+
देखता हूँ, चाँद काला हो गया है
दोगुण-तिरगुण नहीं ताल के
+
कल जो चन्दन के वनों में घूमता था
सारे  रंग    बहे
+
स्वप्न वह, सुन्दर चिता पर सो गया है
आज कहाँ से उमड़ पड़ रहे
+
है बहुत सूनी जगह और रात काली
इतने सुर, लय, ताल
+
मैं अकेला हूँ, बहुत मन आज दहले।
कल तक तो लगता था जैसे
+
 
सब संगीत गए।
+
यह अन्धेरा, यह अकेलापन असह्य है
 +
मेरे  साथी, साथ  मेरे  ही  रहो  तुम
 +
गीत कल मैंने  जो  गाए थे, सुनाओ
 +
कल कहानी जो  कही थी, फिर कहो तुम
 +
मैं सभी कुछ झेल लूँगा, पर अभी तो
 +
दिल को बहलाओ कहीं से, कुछ तो बहले।
 
</poem>
 
</poem>

21:26, 11 अगस्त 2017 के समय का अवतरण

साँस का सरगम टूटे इसके कि पहले
और थोड़ी देर मेरे साथ रह ले।

कौन जाने जनम मेरा हो-न-हो फिर
हो गया ही, तो मिलेंगे क्या पता है
मिल गए भी प्यार क्या ऐसा ही होगा
जिस तरह है आज, मन न मानता है
फिर मिले अवसर न कहने का कभी
आज तक जो अनकही हो बात, कह ले।

आज नभ को क्या हुआ ये, जल रहा क्यों
देखता हूँ, चाँद काला हो गया है
कल जो चन्दन के वनों में घूमता था
स्वप्न वह, सुन्दर चिता पर सो गया है
है बहुत सूनी जगह और रात काली
मैं अकेला हूँ, बहुत मन आज दहले।

यह अन्धेरा, यह अकेलापन असह्य है
मेरे साथी, साथ मेरे ही रहो तुम
गीत कल मैंने जो गाए थे, सुनाओ
कल कहानी जो कही थी, फिर कहो तुम
मैं सभी कुछ झेल लूँगा, पर अभी तो
दिल को बहलाओ कहीं से, कुछ तो बहले।