भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"ये ज़मीन खुशबुओं से भरी कोई फूल इसमें खिलाइये / डी. एम. मिश्र" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=डी. एम. मिश्र |संग्रह=आईना-दर-आईना /...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
(कोई अंतर नहीं)

15:13, 19 अगस्त 2017 का अवतरण

ये ज़मीन खुशबुओं से भरी कोई फूल इसमें खिलाइये।
हाकिम तो आप बहुत बड़े इन्सान बनके दिखाइये।

ताक़त है बख़्शी ख़ुदा ने जो कुछ सोच करके ही आपको,
है वक़्त आप पे मेहरबाँ औरों के काम भी आइये।

इतने महान भी मत बनें किसी आदमी से घृणा करें,
इस पद के झूठे गुमान से भगवान मुझको बचाइये।

कुर्सी से अच्छे भी काम हों, कुर्सी से होते गुनाह भी,
कहने से बाज भी आइये कुछ करके आप दिखइये।

ओहदे से, पद से न हो सके या रौब से जो न मिल सके,
वह एक केवल प्यार से, आराम से सब पाइये।