भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"जय छत्तीसगढ़ भूईयाँ / प्रमोद सोनवानी 'पुष्प'" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=प्रमोद सोनवानी 'पुष्प' |संग्रह= }} {{KK...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
21:53, 20 अगस्त 2017 के समय का अवतरण
जय जुहार हो छत्तीसगढ़ भूईयाँ।
केलो नदी महतारी पखारे तोर पईयाँ।
धान के कटोरा हावस,
सबके दुःख मिटईया अस।
हावस दाई ते तो ओ,
सबके भूख मिटईया।
तोरे कोरा म दाई,
पाथन जीये के सहारा।
धन देवईया-यश देवईया,
हावस ते सुख देवईया।