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"रस्मे वफा के वास्ते हर सुख भुला दिया / डी. एम. मिश्र" के अवतरणों में अंतर

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गिन गिन के मेरी हर ख़ता तूने बता दिया।
 
गिन गिन के मेरी हर ख़ता तूने बता दिया।
  
फिर आखिरी समय पे क्या शिकवा गिला करें,
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फिर आखिरी समय पे क्या शिकवा गिला करूँ,
 
अच्छा किया जो तुमने मुझे फिर दगा दिया।
 
अच्छा किया जो तुमने मुझे फिर दगा दिया।
  

09:24, 23 अगस्त 2017 का अवतरण

रस्मे वफ़ा के वास्ते हर सुख भुला दिया।
मैंने तो जिंदगी का इक-इक पल लगा दिया।

इतनी भी इनायत तो मगर कम नहीं है दोस्त,
गिन गिन के मेरी हर ख़ता तूने बता दिया।

फिर आखिरी समय पे क्या शिकवा गिला करूँ,
अच्छा किया जो तुमने मुझे फिर दगा दिया।

इतना दिया है और क्या देती दिवानगी,
चाहत को मेरी उसने इबादत बना दिया।

पल भर को अपने आँसुओं को रोक कर सनम,
देखा तुम्हें जो खुश तो मैने मुस्करा दिया।