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"दुनिया नहीं रुकी है बेशक़ किसी के बाद / डी. एम. मिश्र" के अवतरणों में अंतर

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दुनिया नहीं रुकी है बेशक़ किसी के बाद।
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दुनिया नहीं रुकी है बेशक़ किसी के बाद
 
मेरा हुआ ये हाल है लेकिन उसी के बाद।
 
मेरा हुआ ये हाल है लेकिन उसी के बाद।
  
जब वक्त हाथ में था तो थामा न तेरा हाथ,
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जब वक्त हाथ में था तो थामा न तेरा हाथ
 
अब प्यार आ रहा है मगर बेबसी के बाद।
 
अब प्यार आ रहा है मगर बेबसी के बाद।
  
मैंने विदा किया था तुझे ग़ैर का तरह,
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मैंने विदा किया था तुझे ग़ैर का तरह
 
कैसे नज़र मिलाउँगा कल वापसी के बाद।
 
कैसे नज़र मिलाउँगा कल वापसी के बाद।
  
आँगन की धूप जा रही है धीरे-धीरे दोस्त,
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अब तो दिखेंगे फूल भी  काले इसी के बाद।
 
अब तो दिखेंगे फूल भी  काले इसी के बाद।
  
मुझ पर लगा रहे थे जो इल्जा़म कल तलक,
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मुझ पर लगा रहे थे जो इल्जा़म कल तलक
 
रोने लगे हैं वो  भी मेरी खु़दकुशी के बाद।   
 
रोने लगे हैं वो  भी मेरी खु़दकुशी के बाद।   
 
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16:17, 23 अगस्त 2017 के समय का अवतरण

दुनिया नहीं रुकी है बेशक़ किसी के बाद
मेरा हुआ ये हाल है लेकिन उसी के बाद।

जब वक्त हाथ में था तो थामा न तेरा हाथ
अब प्यार आ रहा है मगर बेबसी के बाद।

मैंने विदा किया था तुझे ग़ैर का तरह
कैसे नज़र मिलाउँगा कल वापसी के बाद।

आँगन की धूप जा रही है धीरे-धीरे दोस्त
अब तो दिखेंगे फूल भी काले इसी के बाद।

मुझ पर लगा रहे थे जो इल्जा़म कल तलक
रोने लगे हैं वो भी मेरी खु़दकुशी के बाद।