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"रस्मे वफा के वास्ते हर सुख भुला दिया / डी. एम. मिश्र" के अवतरणों में अंतर
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− | रस्मे वफ़ा के वास्ते हर सुख भुला | + | रस्मे वफ़ा के वास्ते हर सुख भुला दिया |
मैंने तो जिंदगी का इक-इक पल लगा दिया। | मैंने तो जिंदगी का इक-इक पल लगा दिया। | ||
− | इतनी भी इनायत तो मगर कम नहीं है दोस्त | + | इतनी भी इनायत तो मगर कम नहीं है दोस्त |
गिन गिन के मेरी हर ख़ता तूने बता दिया। | गिन गिन के मेरी हर ख़ता तूने बता दिया। | ||
− | फिर आखिरी समय पे क्या शिकवा गिला करूँ | + | फिर आखिरी समय पे क्या शिकवा गिला करूँ |
अच्छा किया जो तुमने मुझे फिर दगा दिया। | अच्छा किया जो तुमने मुझे फिर दगा दिया। | ||
− | इतना दिया है और क्या देती दिवानगी | + | इतना दिया है और क्या देती दिवानगी |
चाहत को मेरी उसने इबादत बना दिया। | चाहत को मेरी उसने इबादत बना दिया। | ||
− | पल भर को अपने आँसुओं को रोक कर सनम | + | पल भर को अपने आँसुओं को रोक कर सनम |
देखा तुम्हें जो खुश तो मैने मुस्करा दिया। | देखा तुम्हें जो खुश तो मैने मुस्करा दिया। | ||
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16:17, 23 अगस्त 2017 के समय का अवतरण
रस्मे वफ़ा के वास्ते हर सुख भुला दिया
मैंने तो जिंदगी का इक-इक पल लगा दिया।
इतनी भी इनायत तो मगर कम नहीं है दोस्त
गिन गिन के मेरी हर ख़ता तूने बता दिया।
फिर आखिरी समय पे क्या शिकवा गिला करूँ
अच्छा किया जो तुमने मुझे फिर दगा दिया।
इतना दिया है और क्या देती दिवानगी
चाहत को मेरी उसने इबादत बना दिया।
पल भर को अपने आँसुओं को रोक कर सनम
देखा तुम्हें जो खुश तो मैने मुस्करा दिया।