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"अगर बाँटने निकलो जग का ग़म / डी. एम. मिश्र" के अवतरणों में अंतर
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− | अगर बाँटने निकलो जग का | + | अगर बाँटने निकलो जग का ग़म |
तो अपना दुख भी हो जाये कम। | तो अपना दुख भी हो जाये कम। | ||
− | दुनिया से उम्मीद रखो उतनी | + | दुनिया से उम्मीद रखो उतनी |
जितने से सम्बन्ध रहे कायम। | जितने से सम्बन्ध रहे कायम। | ||
− | इस आँसू से जग का दुख सींचो | + | इस आँसू से जग का दुख सींचो |
तपते मौसम को कर दो कुछ नम। | तपते मौसम को कर दो कुछ नम। | ||
− | मुक्त आप हर चिंता से हो जांय | + | मुक्त आप हर चिंता से हो जांय |
सिर्फ़ त्याग दें अपना आप अहम। | सिर्फ़ त्याग दें अपना आप अहम। | ||
− | खिड़की खेालो तो प्रकाश आये | + | खिड़की खेालो तो प्रकाश आये |
भीतर का छँट जाये सारा तम। | भीतर का छँट जाये सारा तम। | ||
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16:26, 23 अगस्त 2017 के समय का अवतरण
अगर बाँटने निकलो जग का ग़म
तो अपना दुख भी हो जाये कम।
दुनिया से उम्मीद रखो उतनी
जितने से सम्बन्ध रहे कायम।
इस आँसू से जग का दुख सींचो
तपते मौसम को कर दो कुछ नम।
मुक्त आप हर चिंता से हो जांय
सिर्फ़ त्याग दें अपना आप अहम।
खिड़की खेालो तो प्रकाश आये
भीतर का छँट जाये सारा तम।