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"प्यार कब घटता है लेकिन दूरियों से / डी. एम. मिश्र" के अवतरणों में अंतर

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प्यार कब घटता है लेकिन दूरियों से।
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कम न होतीं चाहतें कुछ खामियों से।
 
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जो भी कहना है तू कह ले शौक़ से,
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डर लगे मुझको तेरी खा़मोशियों से।  
 
डर लगे मुझको तेरी खा़मोशियों से।  
  
देखता था तू कभी बंकिम नयन से,
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घूरता है अब मुझे क्यों कनखियों से।
 
घूरता है अब मुझे क्यों कनखियों से।
  
प्यार से रह साथ चाहे लड़ झगड़कर,
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दिल को लगती चोट है तनहाइयों से।
 
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फूल पर बरसे न शबनम की तरह क्यों,
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क्या तुम्हें सूझा कि टूटे बिजलियों से।
 
क्या तुम्हें सूझा कि टूटे बिजलियों से।
  
 
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16:31, 23 अगस्त 2017 के समय का अवतरण

प्यार कब घटता है लेकिन दूरियों से
कम न होतीं चाहतें कुछ खामियों से।

जो भी कहना है तू कह ले शौक़ से
डर लगे मुझको तेरी खा़मोशियों से।

देखता था तू कभी बंकिम नयन से
घूरता है अब मुझे क्यों कनखियों से।

प्यार से रह साथ चाहे लड़ झगड़कर
दिल को लगती चोट है तनहाइयों से।

फूल पर बरसे न शबनम की तरह क्यों
क्या तुम्हें सूझा कि टूटे बिजलियों से।