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"कहाँ मैं तलाशूँ मज़ा ज़िंदगी का / डी. एम. मिश्र" के अवतरणों में अंतर
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− | कहाँ मैं तलाशूँ मज़ा ज़िंदगी | + | कहाँ मैं तलाशूँ मज़ा ज़िंदगी का |
तुम्हारी मुहब्बत नशा ज़िंदगी का। | तुम्हारी मुहब्बत नशा ज़िंदगी का। | ||
− | न आँखें ये होतीं, न चेहरा वो होता | + | न आँखें ये होतीं, न चेहरा वो होता |
न होता मधुर हादसा ज़िंदगी का। | न होता मधुर हादसा ज़िंदगी का। | ||
− | बड़ी मस्त हैं इस गली की हवाएँ | + | बड़ी मस्त हैं इस गली की हवाएँ |
कि जिनमें है केशर घुला ज़िंदगी का। | कि जिनमें है केशर घुला ज़िंदगी का। | ||
− | तुम्हारा मिलन हो कि हो वो जुदाई | + | तुम्हारा मिलन हो कि हो वो जुदाई |
इसी में सफ़र है कटा ज़िंदगी का। | इसी में सफ़र है कटा ज़िंदगी का। | ||
− | मरूँ तो भी दिल में तुम्हारे रहूँ मैं | + | मरूँ तो भी दिल में तुम्हारे रहूँ मैं |
बनेगा कहीं मक़बरा ज़िंदगी का। | बनेगा कहीं मक़बरा ज़िंदगी का। | ||
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17:01, 23 अगस्त 2017 के समय का अवतरण
कहाँ मैं तलाशूँ मज़ा ज़िंदगी का
तुम्हारी मुहब्बत नशा ज़िंदगी का।
न आँखें ये होतीं, न चेहरा वो होता
न होता मधुर हादसा ज़िंदगी का।
बड़ी मस्त हैं इस गली की हवाएँ
कि जिनमें है केशर घुला ज़िंदगी का।
तुम्हारा मिलन हो कि हो वो जुदाई
इसी में सफ़र है कटा ज़िंदगी का।
मरूँ तो भी दिल में तुम्हारे रहूँ मैं
बनेगा कहीं मक़बरा ज़िंदगी का।