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"बात को साफ कहो, सीधे कहो / डी. एम. मिश्र" के अवतरणों में अंतर
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− | बात को साफ कहो, सीधे | + | बात को साफ कहो, सीधे कहो |
वो भले तेज, भले धीमे कहो। | वो भले तेज, भले धीमे कहो। | ||
− | जो सही है वो कहीं व्यक्त करो | + | जो सही है वो कहीं व्यक्त करो |
सामने मॅुह पे कहो, पीछे कहो। | सामने मॅुह पे कहो, पीछे कहो। | ||
− | बात ही क्या वो जो असर न करे | + | बात ही क्या वो जो असर न करे |
रुख बदल के वही अब तीखे कहो। | रुख बदल के वही अब तीखे कहो। | ||
− | बात मंदिर की हो कि मस्जिद की | + | बात मंदिर की हो कि मस्जिद की |
जो ज़रूरी वो ज़हर पी के कहो। | जो ज़रूरी वो ज़हर पी के कहो। | ||
− | जिक्र सतयुग का न छेड़ो असमय | + | जिक्र सतयुग का न छेड़ो असमय |
जी रहे युग जो वही जी के कहो। | जी रहे युग जो वही जी के कहो। | ||
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17:02, 23 अगस्त 2017 के समय का अवतरण
बात को साफ कहो, सीधे कहो
वो भले तेज, भले धीमे कहो।
जो सही है वो कहीं व्यक्त करो
सामने मॅुह पे कहो, पीछे कहो।
बात ही क्या वो जो असर न करे
रुख बदल के वही अब तीखे कहो।
बात मंदिर की हो कि मस्जिद की
जो ज़रूरी वो ज़हर पी के कहो।
जिक्र सतयुग का न छेड़ो असमय
जी रहे युग जो वही जी के कहो।