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"जुल्म की दीवार उठ कर तोड़ दो / डी. एम. मिश्र" के अवतरणों में अंतर

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जुल्म की दीवार उठ कर तोड़ दो।
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जुल्म की दीवार उठ कर तोड़ दो
 
अब क्षमा की बात करनी छोड़ दो।
 
अब क्षमा की बात करनी छोड़ दो।
  
जो अमन, सुख-चैन में डाले खलल,
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जो अमन, सुख-चैन में डाले खलल
 
शीश उसका ठोकरों से फोड़ दो।
 
शीश उसका ठोकरों से फोड़ दो।
  
जंगलों के पथ बहुत भटका चुके,
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जंगलों के पथ बहुत भटका चुके
 
अब उन्हें भी मार्गों से जोड दो।
 
अब उन्हें भी मार्गों से जोड दो।
 
   
 
   
बीज बोना है अगर तो लो समझ,
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बीज बोना है अगर तो लो समझ
 
भूमि को अच्छे से पहले गोड़ दो।
 
भूमि को अच्छे से पहले गोड़ दो।
  
आदमी के रक्त में गर्मी रहे,
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आदमी के रक्त में गर्मी रहे
 
चेतना को प्राण तक झकझोड़ दो।
 
चेतना को प्राण तक झकझोड़ दो।
 
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17:03, 23 अगस्त 2017 के समय का अवतरण

जुल्म की दीवार उठ कर तोड़ दो
अब क्षमा की बात करनी छोड़ दो।

जो अमन, सुख-चैन में डाले खलल
शीश उसका ठोकरों से फोड़ दो।

जंगलों के पथ बहुत भटका चुके
अब उन्हें भी मार्गों से जोड दो।
 
बीज बोना है अगर तो लो समझ
भूमि को अच्छे से पहले गोड़ दो।

आदमी के रक्त में गर्मी रहे
चेतना को प्राण तक झकझोड़ दो।