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"छल-फ़रेबों से निकलकर देखें / डी. एम. मिश्र" के अवतरणों में अंतर
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क्या है भीतर में खोलकर देखें। | क्या है भीतर में खोलकर देखें। | ||
− | अभी तक दूसरों को देखा है | + | अभी तक दूसरों को देखा है |
मौत अपनी भी तो मरकर देखें। | मौत अपनी भी तो मरकर देखें। | ||
− | खामियाँ दूसरों की गिनते हैं | + | खामियाँ दूसरों की गिनते हैं |
कभी अपने को तौलकर देखें। | कभी अपने को तौलकर देखें। | ||
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17:04, 23 अगस्त 2017 के समय का अवतरण
छल-फ़रेबों से निकलकर देखें
क्यों न रिश्तों को तोड़कर देखें।
क्या लिखा है मेरे मुकद्दर में
अपने माथे को फोड़कर देखें।
अब हकीकत से उठायें परदा
क्या है भीतर में खोलकर देखें।
अभी तक दूसरों को देखा है
मौत अपनी भी तो मरकर देखें।
खामियाँ दूसरों की गिनते हैं
कभी अपने को तौलकर देखें।